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झबरेड़ा::- कस्बा स्थित आर्य समाज मंदिर में हवन यज्ञ कर मनाया गया 48वा वार्षिक उत्सव

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झबरेड़ा। स्वामी मेघानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आर्य समाज समाज में फैली कुरीतियों व आडंबर का विरोध करता आया है आर्य समाज वेदों की शिक्षा के साथ-साथ यज्ञ करने में विश्वास करता है यज्ञ करने से वातावरण शुद्ध होता है वही वेदों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है कस्बे में आर्य समाज का वार्षिकोत्सव हवन यज्ञ का शुभारंभ किया गया।

कस्बा झबरेड़ा में रविवार को आर्य समाज मंदिर में आर्य समाज के 48 वे वार्षिकोत्सव के अवसर पर स्वामी मेघानंद सरस्वती महाराज आर्य समाज प्रांगण में वहां उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग मूर्ति पूजा में विश्वास करते हैं मंदिरों में जाकर विष्णु ब्रह्मा महेश राम कृष्ण आदि देवी देवताओं की पूजा अर्चना कहते हैं उन्होंने कहां आर्य समाज इनका विरोधी नहीं है हमारे भारत देश में अन्य महापुरुष हुए हैं श्री राम हनुमान कृष्ण शिव सरस्वती आदि महापुरुष पैदा हुए हैं इसलिए यह महापुरुष पूजनीय है लेकिन इस सृष्टि को बनाने वाला इसे चलाने वाला इसका पालन करने वाला तथा संहार करने वाली जो शक्ति है वह निराकार है ईश्वर निराकार सच्चिदानंद स्वरूप सर्व व्यापक सर्वशक्तिमान न्याय कारी दयालु अनादि तथा अजर अमर है आर्य समाज सभा के प्रदेश प्रतिनिधि चौधरी बिरम सिंह ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा सन 1884 मुंबई में की गई थी स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा समाज में पहले आडंबर तथा कुरितिया जैसे बाल विवाह जाति आदि को दूर करने का काम किया उन्होंने कहा कि चार वेद होते हैं सभी वेद सत्य विधाओं की पुस्तक है वेदों का पढ़ना पढ़ना आर्यों का परम धर्म है वेदों में इस संसार के सभी गूढ रहस्य तथा मनुष्य की उन्नति के सार छिपे हुए हैं उन्होंने बताया कि हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्य की आयु को चार भागों में बाल्यावस्था युवावस्था व्यवस्था आश्रम तथा सन्यास आश्रम में बांटा था उसी प्रकार चार वर्ण भी बनाए थे जो लोग शिक्षा देकर अच्छी दिशा की ओर समाज को अग्रसर करते थे उन्हें ब्राह्मण कहते थे जो लोग समाज व देश की रक्षा करने का काम करते थे उन्हें क्षत्रिय तथा जो धन-धान्य तथा अनाज आदि उगा पैदा कर समाज की उन्नति करता था तथा समाज को पालता था उसे वैश्य तथा जो समाज के लोगों की सेवा करता था उसे शूद्र कहां जाता था शुद्र शब्द का कुछ लोगों द्वारा गलत अर्थ निकाला गया है जिस प्रकार सुख-दुख में काम कर सेवा करने मैं जो तत्पर रहता है तथा जैसे कोई व्यक्ति सड़क पर गिर जाता है उसे उठाने वाला जो व्यक्ति तत्पर होता है उसे शुद्र कहां जाता है कार्यक्रम से पूर्व हवन यज्ञ किया गया तथा आर्य समाज का ध्वज फहराया गया कार्यक्रम में आए भजन गायक द्वारा भजन प्रस्तुत किए गए कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम में पहुंचे सभी लोगों को प्रसाद वितरित किया गया इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक वीरेंद्र जाती पूर्व राज्य मंत्री डॉ गौरव चौधरी यशवीर सिंह प्रीतम सिंह जल सिंह चौधरी ब्रह्म सिंह संदीप यशमोद कुमार मदन सिंह सुनीता सिंह मनस्वी चौधरी ईशू सैनी रेणुका सिंह अशोक वर्मा वीरेंद्र वर्मा रामपाल सिंह प्रदीप कुमार अश्विनी कुमार वेदपाल आदेश चौधरी मानवीय कृष्ण वर्मा अरविंद अभय प्रताप सैनी कपिल आदि उपस्थित रहे।

 

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